एक आदमी ज़िंदगी भर जूते गाँठता है या उन पर करता है पॉलिश
एक आदमी ज़िंदगी भर कपड़े धोता है या उन पर करता है प्रेस
एक आदमी सिर पर बोझा ढोता है या ढोता है रिक्शे पर सवारियाँ
एक आदमी सड़क बुहारता है या कूड़े के ढेर में ढूँढ़ता है बिक सकने वाली कोई चीज़
ये और इन जैसे तमाम आदमी
और वे तमाम औरतें जो इन्हीं की तरह करती हैं ऐसे तमाम तरह के काम
कभी कलाकार नहीं माने जाते जबकि होते हैं वे अपने-अपने ढंग के कलाकार ही
उनका भी एक शिल्प होता है और होती है उनकी भी एक शैली
उनकी भी होती है एक भाषा जिसमें बनता है उनका काम एक रचना
उस रचना का भी होता है एक कथ्य और एक रूप
उसमें भी होती है सोद्देश्यता, सार्थकता और प्रासंगिकता भरपूर
लेकिन कोई उनकी कला की चर्चा नहीं करता
कोई नहीं आँकता उनका मूल्य
कोई नहीं लिखता उनका इतिहास और कोई नहीं होता उनका नामलेवा
क्योंकि उन्हें कलाकार ही नहीं माना जाता।
मगर क्यों?
इसलिए कि वे तो बहुत हैं
इतनों की कला कौन देखे कौन परखे?
इसलिए देखने-परखने वाले करते हैं छँटाई और बनाते हैं सिद्धांत
पहला सिद्धांत :
कलाकार तो लाखों में कोई एक ही होता है (मतलब, लाखों छाँट दिये!)
दूसरा सिद्धांत :
कारीगर कलाकार नहीं होते (मतलब, करोड़ों छाँट दिये!)
तीसरा सिद्धांत :
कलाकारों में भी सब श्रेष्ठ नहीं होते (मतलब, अरबों छाँट दिये!)
चौथा सिद्धांत :
श्रेष्ठ कलाकारों में भी सब महान नहीं होते (मतलब, खरबों छाँट दिये!)
इस तरह वे छँटाई करते जाते हैं
जब तक कि कलाकारों की संख्या उनके लिए मैनेजेबल न हो जाये
और इस तरह जो दो-चार या चार-पाँच या पाँच-सात नाम बचते हैं
उनमें से भी वे छाँटना चाहते हैं सर्वश्रेष्ठ
और सर्वश्रेष्ठ होता है वह जो उनकी अपनी कसौटी पर खरा उतरे
और कसौटी होती है उनकी अपनी-अपनी अलग
जिससे आगे भी छँटाई की गुंजाइश बनी रहती है!
--रमेश उपाध्याय
इतना सब होने पर भी कलाकार तो कलाकार ही होता है।
ReplyDeleteइस तरह वे छँटाई करते जाते हैं
ReplyDeleteजब तक कि कलाकारों की संख्या उनके लिए मैनेजेबल न हो जाये
और इस तरह जो दो-चार या चार-पाँच या पाँच-सात नाम बचते हैं
उनमें से भी वे छाँटना चाहते हैं सर्वश्रेष्ठ
और सर्वश्रेष्ठ होता है वह जो उनकी अपनी कसौटी पर खरा उतरे
और कसौटी होती है उनकी अपनी-अपनी अलग
जिससे आगे भी छँटाई की गुंजाइश बनी रहती है!
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बिल्कुल सही पर कितनी भी छँटाई करलो कलाकार तो कलाकार ही रहेगा।
भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.
ReplyDeleteबजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.
महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.
कविता की शुरुआत बहुत खूबसूरत है
ReplyDeleteश्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
ReplyDeleteप्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
ReplyDeleteदोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
http://www.apnimaati.com/2011/05/blog-post_1300.html WE HAVE SHARED THIS POM HERE FOR OUR PATHAK
ReplyDeleteਕਵਿਤਾ ਤੇ ਵਿਚਾਰ ਏਨੇ ਬਿਹਤਰ ਹਨ ਕਿ ਤੁਹਾਡੀ ਇਜਾਜ਼ਤ ਦੇ ਬਿਨਾਂ ਹੀ ਆਪਣੇ ਬਲਾਗ ਲਿੱਪੀ-ਅੰਤਰ ਜਿਹੜਾ mereanuwad.blogspot.com ਵਿਚ ਵੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਪਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ...ਉਮੀਦ ਹੈ ਨਾਰਾਜ਼ਗੀ ਦੀ ਜਗ੍ਹਾ ਸ਼ਾਬਾਸ਼ੀ ਹੀ ਦਵੋਗੇ। 094177-30600.
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