Tuesday, February 15, 2011

मेरा ‘गोल्ड’ कहाँ गया?

आकाशवाणी का एक चैनल था एफएम गोल्ड, जिस पर बड़े अच्छे-अच्छे कार्यक्रम आते थे। पुराने फिल्मी गीतों के या उन पर आधारित कार्यक्रम। मैं अपने रेडियो पर स्थायी रूप से उसी को लगाये रखता था। जब भी थोड़ा खाली वक्त मिलता, रेडियो ऑन कर देता और उसे सुनने लगता। उस पर समाचार सुनता। पुराने फिल्मी गीत सुनता। ‘तस्वीर’ जैसे कार्यक्रम सुनता। क्रिकेट की कमेंटरी सुनता। ऐसा लगता था, जैसे आपाधापी से भरी इस दुनिया में कोई एक जगह है, जहाँ चैन से बैठा जा सकता है और नये जमाने के साथ चलते हुए भी अपने अतीत से जुड़े रहा जा सकता है।

नहीं, यह कोई अतीत-मोह नहीं था, बल्कि उत्कृष्ट प्रसारण शांतिपूर्वक सुनकर आनंदित होना था। एफएम गोल्ड पर फिल्मी गीतों के अलावा शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत भी सुनाये जाते थे, देश-विदेश के दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी दी जाती थी, कलाकारों और साहित्यकारों के बारे में बताया जाता था और इन कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने वाले स्त्री-पुरुष मनोरंजक बातें करते हुए भी इतने सुशिक्षित, सहृदय और शालीन लगते थे कि जैसे बिलकुल अपने हों और अपनी जैसी बातें करते हों, अपनी जैसी चीजें पसंद करते हों।

यह इतना लोकप्रिय चैनल था कि इसके फोन-इन कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए श्रोता तैयार बैठे रहते थे, बातें करते थे, अपने मित्रों को जन्मदिन की बधाई जैसे संदेश भेजते थे, प्रश्न पूछते थे, अपनी राय भी देते थे। मैं और मुझ जैसे असंख्य लोग एफएम गोल्ड के साथ जीने के आदी हो गये थे।

लेकिन कुछ दिन पहले एक दिन मैंने रेडियो ऑन किया, तो गोल्ड की जगह कुछ और ही सुनायी पड़ा। ट्यूनिंग करने वाली सुई को मैंने खूब घुमाया-फिराया, कई-कई बार वापस उसी जगह पर लौटकर लगाया, लेकिन गोल्ड हाथ नहीं आया। धक्का-सा लगा। यह क्या हो गया? लगा, जैसे अपनी बहुत पुरानी बेशकीमती चीज खो गयी हो।

कोई बतायेगा कि यह क्या घोटाला है? किसने किसको क्या और कितना लाभ पहुँचाने के लिए इतने अच्छे कार्यक्रमों वाले चैनल की हत्या की है? क्या कोई तरीका है कि मैं अपने गोल्ड को वापस पा सकूँ, जो मुझसे जबर्दस्ती छीन लिया गया है? यह एक लेखक और पत्रकार के साथ-साथ एक वरिष्ठ नागरिक की भी पुकार है!

--रमेश उपाध्याय

6 comments:

  1. किसी बाजार ने अगवा कर लिया, लगता है।

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  2. रमेश जी एफएम गोल्‍ड को 31 अक्‍टूबर,2010 से 27 मार्च 2011 तक के लिए नई फ्रिकेवन्‍सी दी गई है। यह दिल्‍ली के लिए है 106.4
    हो सकता है आपको यह अपने रेडियो सेट पर नहीं मिल रही हो। मेरा सुझाव है कि आजकल मोबाइल फोन में भी रेडियो होता है। आप उस पर खंगाल कर देखें,मिल जाएगा।
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    बहरहाल यह जानकारी मुझे गूगल सर्च पर एफएम गोल्‍ड सर्च करने से मिली है।
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    शुभकामनाएं

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  3. राजेश उत्साही जी ने बहुत उपयोगी जानकारी दी है। मैं भी एफ एम गोल्ड का प्रशंसक हूं।

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  4. it may possible that it has been sold to private companies under disinvestment programme and if inquired may take shape of one more scam in long list of scamlist

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  5. चलो, आपने पूछा और राजेश जी ने बता दिया कि एफ एम गोल्ड गया कहाँ? वरना ये हिन्दुस्तान है, आकाशवाणी के इंदौर के विविध भारती को मीडियम वेब से बंद कर दिया गया था और लोगों ने उफ़ तक नहीं की| जबकि उस समय बहुतो के पास एफ एम रडियो नहीं थे|

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  6. दोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्लागरों को रंगों की फुहार, रंगों का त्यौहार ! भाईचारे का प्रतीक होली की शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभमानाओं के साथ ही बहुत-बहुत बधाई!

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